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धरती हमें बहुत अधिक देती है, कम से कम 15 से 50 प्रतिशत आध्यात्मिक शक्ति। जिस हवा को आप सांस लेते है। उसे अंदर सांस लें वह हवा 15 फीसदी कृपा करती है। पेड़ आपको 15 प्रतिशत तक शक्ति देते हैं , आध्यात्मिक अंक। देवदूत वास्तविक होते हैं, देवी और देवता वास्तविक होते हैं। जितना शुद्ध आप होते हैं उतनी अधिक देवदूती सुरक्षा। ईष्वर सुनते हैं। देवदूत भी सुनते हैं, लेकिन हम उनको अपनी भारी उर्जा से धकेलते हैं। और हम ठीक से नहीं सुन सकते , अपनी भारी उर्जा, हत्यारी उर्जा के कारण । भले ही हम हत्या नहीं करें लेकिन हम खाते हैं, वह अप्रत्यक्ष हत्या है। और इससे पहले कि पशु मरें , वे पीडि़त होते हैं, वे षोक करते हैं, तो जब हम इस उर्जा को अंदर लेते हैं, हम अपने चारों ओर दीवाल बनाते हैं। हम खुद को बांधते हैं। समान समान को आकर्शित करता है। हमें देवदूतों के सहयोग के लिए देवदूतों के समान होना चाहिए।