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अरे, तुम लोगों को बहुत सारी मिठाइयाँ नहीं खानी चाहिए, ठीक है? (जी हाँ।) इसके बजाय फल खाओ। कभी-कभी ठीक है खाओ, एक या दो बार शायद ठीक है, कभी-कभार। लेकिन यह मीठा है, आप जानते ही हैं कि यह आपके शरीर में विटामिन को नष्ट करते हैं, नहीं? (जी हाँ।) और, मस्तिष्क के लिए भी अच्छा नहीं हैं। इसलिए, ध्यान रखें कि आप शरीर और मन के लिए क्या अच्छा खाते हैं। मिठाई और चीनी, जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, हमने अपने टीवी पर दिखाया है, वे हमारे लिए बहुत हितकरी नहीं हैं, भले ही यह हमें कभी-कभी उत्साह या बस कुछ मिनट के लिए स्वाद की प्रसन्नता देता है । लेकिन यह हमारे शारीरिक कार्य पद्धति के लिए बहुत अनुकूल पदार्थ नहीं है। शुरुआत में, यह मुश्किल हो सकता है, क्योंकि ये खाद्य पदार्थ, आपको आसक्त बनाते हैं, लेकिन आप उन्हें कम करो, कम करते रहो जब तक आप इसे पुर्ण रुपसे नहीं त्यागते, तब आप बस फल खओगे और इसके बारे में भूल भी जाओगे, आप यह खाने की ललक भूल जाओगे। और यदि आप अच्छी तरह से खाते हैं, तो आपको उस भोजन के लिए तरसना नहीं होगा। आपको अच्छा खाना खाना चाहिए, और तब तक खाना जब तक आप पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होते, तब आप मिठाई के बारेमे नहिं सोचोगे। और यह अभी बहुत आवश्यक है। यह टीवी अभी दुनिया को बचाए रखने के लिए बहुत आवश्यक है। यह सिर्फ एक टीवी नहीं है, यह प्रेम है, प्रेम भरी ऊर्जा है जो इसके साथ जाती है, लेकिन फिर भी, हमें इसे अच्छे से रखना होगा। हमें इसे इस तरह से रखना होगा कि लोग समझें, और यह कि लोग आत्मसात कर सकें और इसे पचा सके। हमें इसे सही क्रम में रखना होगा, ताकि लोग इसे स्वीकार कर सकें। हमें सच्चाई, सुंदरता और सदाचार का प्रतिनिधित्व करना है। इन तीनों को हमारे कार्यक्रमों में, हर कार्यक्रम में संयुक्तक जोडना होगा, ताकि लोग इसे आसानी से आत्मसात कर सकें, और इसे पचा सकें, और इसे वास्तविक आचरण में उतार कर इसे अपने जीवन में शामिल कर सके। मेरी बात समझे? यह सिर्फ खबर नहीं है, यह केवल अन्य सभी तैयारियों, रंग, दृश्यों मात्र नहीं है, लेकिन होस्ट भी महत्वपूर्ण हैं। उन्हें सकारात्मक ऊर्जा की वाहक बनना चाहिए जो उन्हें दुनिया में दिखाए जाने से पहले उन्हें प्रदान किया जाता है। वह केवल वह खुद नहीं है; वह प्रेम की सकारात्मक ऊर्जा को वहन करती है जिसे मैं उन्हें प्रसारण होने से पहले प्रदान करती हूं। इसलिए, उन्हें यह सब भी संयोजित करना होगा। सौंदर्य सिर्फ अंदर ही नहीं, बाहर भी होना चाहिए। खासकर के टीवी पर। आपको ध्यान रखना होगा। ये चीजें नम्रता और ईश्वर की कृपा के प्रति कृतज्ञता से स्वीकार करना चाहिए, स्वर्ग के आशीर्वाद के लिए, अपने आप से नहीं। समझ गये? (जी हाँ, गुरु जी।) क्योंकि आपका दिमाग सीमित है, आपका दिमाग परेशान करने वाला है। केवल ईश्वर की कृपा, स्वर्ग के आशीर्वाद से, आप बिना किसी बाधा के या कम बाधाओं के साथ काम को अच्छी तरह से करने में सक्षम हो सकते हैं। हम कुछ नहीं करते हैं। ईश्वर करते हैं, ईश्वरें और स्वर्ग करते हैं, हमेशा, ठीक है? अन्यथा, यदि आपका अहंकार बडता है, तो आप किसी भी समय परेशानी में पड़ जाएंगे। और यदि हमारा अहंकार अधिक है तो हम दूसरों की सेवा नहीं कर सकेंगे, क्योंकि हम अलग तरीके से सोचेंगे। अहंकार हमें बहुत नकारात्मक तरीके से, विनाशकारी तरीके से या कम से कम अवरोधक तरीके से सोचने के लिए मजबूर करता है। यह आसानी से बहने नहीं देगा और फिर हम गलतियाँ करेंगे। छोटी सी गलतियाँ हो सकती है, ठीक है, लेकिन बड़ी गलतियाँ कष्टप्रद होते हैं। केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए, उन लोगों के लिए भी जिन्हें हम अच्छी सेवा करना चाहते हैं । समझे?