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"दुनिया के लोगों को बदलना होगा एक सही जीवन शैली की ओर - हिंसक और हत्यारी जीवन शैली को समाप्त करना होगा। तब शांति आएगी, शांति कायम होगी और स्थायी होगी।” ये उनके शब्द हैं। यह पहली बार है जब मैंने युद्ध के राजा से ऐसा कुछ सुना है। मैंने सोचा कि जब तक आपके पास वह है आप वह सब कुछ दे सकते हैं जो आप चाहते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। […]
नमस्ते, स्वर्ग की प्रिय आत्माओं, अनंत काल की आत्माओं! मेरे पास आपके साथ साँझा करने के लिए बस कुछ छोटी सी खबर है। और आशा है कि आप सभी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे होंगे ताकि परिणाम, परिणाम, वैसा ही हो जैसा आप चाहते हैं, विशेष रूप से आध्यात्मिक क्षेत्र में।और वैसे, इससे पहले कि मैं फिर से भूल जाऊं, आप सभी को धन्यवाद जिन्होंने पिछले हफ्तों में मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। मैं आप सभी को व्यक्तिगत रूप से उत्तर नहीं दे सकी, हालांकि मैं सोच रही थीं कि कैसे दूं। फिर मैं इतना व्यस्त हो गई कि इसे नजरअंदाज कर दिया। हम ड्रैगन (चीनी राशि चिन्ह) लोग भुलक्कड़ भी होते हैं और बहुत ज्यादा व्यस्त भी। और जैसा कि आप मुझे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं: मैं इस तरह की ड्रैगन हूं। तो, कृपया मुझे माफ कर दिजिएगा। आपने मुझे याद दिलाया कि यह ड्रैगन का वर्ष है, मेरे जन्म का साल, इसलिए आपने मुझे विशेष रूप से शुभकामनाएं दीं। धन्यवाद और फिर से धन्यवाद । खैर, मैं आप सभी को भी, जिनका जन्म चंद्र ड्रैगन वर्ष में हुआ है, एक शानदार समय और शुभकामनाएं देती हूं! मैं बहुत समय से अपना जन्मदिन नहीं मनाती हूँ - मुझे इसमें कोई रुचि नहीं है, क्योंकि दुनिया अभी भी दर्द और दुःख में है। लेकिन आप सभी, जीवंत ड्रेगन, कृपया स्वर्ग के आशीर्वाद और प्रेम के साथ जश्न मनाएं और आनंद लें!!!मैं आपसे बात करना चाहती हूं क्योंकि कल, मैंने शांति के राजा के कुछ मददगार हाथों को देखा, और मैं उन्हें धन्यवाद देती हूं। मैं परमेश्वर की इच्छा पूरी करने में मदद करने तथा संसार को अधिक शांत, अधिक सामंजस्यपूर्ण वातावरण प्रदान करने के लिए उनका बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूँ। और फिर, मैंने उनसे पूछा कि क्या वह इससे अधिक कुछ कर सकते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि वह केवल वही कर सकते हैं जो वह कर सकते हैं और ब्रह्मांड के कानून के तहत। लेकिन वास्तव में, मैंने देखा कि वह पहले ही उससे अधिक कर चुके हैं जो वह कर सकते थे। और जो कुछ भी वह करते हैं, अधिकांशतः उन्हें चुपचाप और लगभग गुप्त रूप से करना पड़ता है।फिर मैंने युद्ध के देवता को बुलाया और उनसे बात की। मैंने कहा, “आप यह सब क्यों कर रहे हैं?” अतः, निःसंदेह, उत्तर स्पष्ट है। उन्होंने मुझसे कहा कि वे जो कर रहे हैं, उससे उन्हें आनंद नहीं मिलता, जैसे इस संसार में युद्ध भड़काते। लेकिन कर्म का बल इतना भारी, और इतना प्रबल है कि वह इसके अलावा कुछ नहीं कर सकता। तो, मैंने उनसे कहा, “क्या आपको युद्ध के पीड़ितों के प्रति कहीं भी कोई सहानुभूति नहीं है? क्योंकि जैसा कि आप देख रहे हैं, यह वह नहीं है जो कोई चाहता था। यह बहुत अधिक पीड़ा, बहुत अधिक दर्द, अलगाव, चिंता, चिंता, भयानक, भयानक स्थितियां, शारीरिक और सभी प्रकार के दर्द हैं: मानसिक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक।”तो उन्होंने मुझसे कहा, उद्धरण, “कर्म का बल सभी सहानुभूति और करुणा को मार देता है। तो यह हमेशा शून्य होता है - शून्य सहानुभूति, शून्य मिटलिड। अनउद्धरण। "मिटलीड।" मतलब सहानुभूति। यद्यपि वह करना चाहता है, फिर भी वह नहीं कर सकता। "यदि कर्म बल मौजूद है तो किसी भी सहानुभूति के बचने की कोई जगह या अवसर नहीं है।" ओह, उन्होंने बहुत वाक्पटुता से बात की, लेकिन मैं वास्तव में यह नहीं कह सकती।इसलिए मैंने उनसे कहा कि मैं उनकी स्थिति और उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य को भी समझती हूं, लेकिन मैं यह नहीं देख सकती कि मनुष्य बहुत अधिक कष्ट झेलें, विशेष रूप से निर्दोष लोग, जैसे बुजुर्ग और बच्चे - यह वास्तव में हर रोज़ मेरे दिल को झकझोर देता है। तो फिर वह मुझे ही अकेले सज़ा दे दे और दूसरे लोगों को शांति से छोड़ दे, यह कैसा रहेगा? मैं कितना भी कष्ट सहने को तैयार हूँ, चाहे कितना भी लम्बा समय हो। और मैंने अपने लिए पीआर करने की कोशिश की, जैसे जनसंपर्क, आप इसे कहते हैं; मैंने अपने लिए प्रचार किया। मैंने कहा, “मैं युद्ध में मारे गए सभी पीड़ितों से अधिक योग्य हूं, और उन सभी को मिलाकर भी। इसलिए, यदि आप मुझे नष्ट कर देते हैं, यदि आप मुझे दंडित करते हैं, तो यह पर्याप्त होगा, यह बाकी सभी के लिए पर्याप्त होगा।” तो उन्होंने मुझसे कहा, "यह संभव नहीं है।" मैंने कहा, “सब कुछ संभव है। क्यों नहीं?"तो, उन्होंने कहा, “हत्या और हिंसक ऊर्जा शांति ऊर्जा के साथ मिश्रित नहीं होती है। तो, शांति बस अकेली रहती है, और वह मारक ऊर्जा अकेली रहती है। वे एक साथ मिश्रित नहीं होंगे, और हत्या करने वाली ऊर्जा शांति ऊर्जा को ढकने में सक्षम नहीं होगी। इस प्रकार, यह स्पष्टतः दो ध्रुवीय प्रकार की ऊर्जा की तरह है; दो अलग, अलग प्रकार की ऊर्जा। इसलिए, शांति ऊर्जा के लिए हिंसक ऊर्जा के साथ मिलकर उनके साथ एक होना संभव नहीं है। क्योंकि शांति की ऊर्जा को नष्ट नहीं किया जा सकता।” मुझे लगता है कि उनका मतलब है कि मेरी ऊर्जा शांति के लिए है, और दुनिया का कर्म हिंसक, हत्या और यह सब विनाश है। वे एक साथ मिल नहीं सकते, इसलिए वह इसे नष्ट नहीं कर सकता। तो, उन्हें केवल हिंसक ऊर्जा को ही नष्ट करना होगा। खैर, मुझे आशा है कि मैंने खुद को स्पष्ट कर दिया है। जब मैं उनसे बात कर रही थी, तो यह सब कुछ बिल्कुल स्पष्ट था। दरअसल उनके शब्द... उन्होंने कहा कि चूंकि युद्ध कर्म और शांति कर्म ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों से आते हैं, इसलिए वे एक साथ मिश्रित नहीं हो सकते। इसीलिए युद्ध की ऊर्जा शांति की ऊर्जा को ढक नहीं सकती, घेर नहीं सकती, उनके साथ मिल नहीं सकती। इसीलिए मैं लोगों के लिए शांति स्थापित करने हेतु बलिदान नहीं दे सकती।"दुनिया के लोगों को बदलना होगा एक सही जीवन शैली की ओर - हिंसक और हत्यारी जीवन शैली को समाप्त करना होगा। तब शांति आएगी, शांति कायम होगी और स्थायी होगी।” ये उनके शब्द हैं। यह पहली बार है जब मैंने युद्ध के राजा से ऐसा कुछ सुना है। मैंने सोचा कि जब तक आपके पास वह है आप वह सब कुछ दे सकते हैं जो आप चाहते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। यदि आपके पास शांति ऊर्जा है, तो आप उन्हें युद्ध ऊर्जा को कमजोर करने के लिए भी नहीं दे सकते। शायद एक छोटी सी चीज़, जैसे आप किसी घबराये हुए व्यक्ति या भयभीत व्यक्ति के पास बैठ कर उनकी मदद कर सकते हैं और अपनी ऊर्जा, शांति ऊर्जा से उन्हें शांत कर सकते हैं, लेकिन पूरे विश्व की युद्ध ऊर्जा को कमजोर नहीं कर सकते। हे मेरे भगवान, और मैंने सोचा कि हम सब कुछ दे सकते हैं। और मुझे ये सब सुनकर बहुत दुख हुआ।बाद में, मैंने युद्ध के राजा से कहा: “मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जारी रखूँगी, मैं हार नहीं मानूँगी। और बेहतर होगा कि आप अपने हित के लिए मेरी तरफ़ रहें! अच्छाई हमेशा जीतेगी।”तो आप देख सकते हैं, कर्म ऐसी चीज़ है जिसे हम टाल नहीं सकते - चाहे अच्छा कर्म हो या बुरा कर्म। और एक और अपरिहार्य बात है ईश्वर की इच्छा! उस दिन, मैंने आपसे इस बारे में बात की थी प्रति दिन एक भोजन करने की। मेरा आपको बताने का कोई इरादा नहीं था। एक बार, ताइवान (फॉर्मोसा) की दो बारे पूर्व उपराष्ट्रपति मैडम लू, न्यू लैंड आश्रम का दौरा करने आईं और उनके साथ आई महिलाओं में से एक ने मुझसे पूछा कि क्या मैं दिन में एक बार खाना खाती हूं। मैंने कुछ भी नहीं कहा। मैंने कुछ और बात की; मैं उस बारे में बात नहीं करना चाहती थी। और उस दिन - पता नहीं क्यों - मेरी जबान फिसल गई और मैंने आपको यह बात बता दी। भले ही मुझे याद न हो कि मैंने पहले एक भोजन प्रतिदिन के बारे में यह सब कहा था। लेकिन यह अन्य सभी के प्रति सहानुभूति से उपजा है: भूखे लोग, भूखे पशु-लोग भी, तथा सभी प्रकार की सुविधाओं का अभाव - अन्य प्राणियों के लिए भोजन की न्यूनतम, बुनियादी सुविधा का अभाव, यहां तक कि पेड़-पौधे भी।लेकिन तभी मेरे मुंह से ये बात निकल गयी। जब मैंने इसे कार्य दल को भेजा, तो मुझे वह याद आया। लेकिन मैं कई अन्य चीजों में व्यस्त थी, इसलिए मैंने इसे नोट कर लिया। मैंने कहा, “उसे हटा दो। उस 'प्रति दिन एक भोजन' को हटा दें।'' और तब मैंने सोचा कि जब यह प्रूफ़रीडिंग के लिए मेरे पास वापस आएगा तो मैं इसे हटा दूंगी। लेकिन फिर मैंने ऐसा नहीं किया! मैं भूल गयी! और फिर यह मेरे हाथों से फिसल गया और प्रसारित हो गयी।हे भगवान, मैं नहीं चाहती थी कि वह प्रसारित हो। आरंभ में मैं आपको बताना भी नहीं चाहती थी। क्योंकि मैं इसके परिणाम, इसके बढ़े हुए कर्म नहीं चाहती थी। इसके अलावा मैं नहीं चाहती थी कि कुछ लोग इसकी नकल करें। आप भी शायद मेरी नकल करना चाहेंगे। ऐसा हुआ कि मैं जो करती हूं, लोग उसकी नकल करना चाहते थे। लेकिन फिर यह प्रसारित हो गया। सबसे पहले, मैं लोगों को यह नहीं बताना चाहती थी कि मैं अपने निजी क्षेत्र में क्या करती हूँ। और दूसरा, मैं नहीं चाहती थी कि लोग इसका पालन करें क्योंकि शायद यह वह नहीं है जो उन्हें करना चाहिए, या शायद वह नहीं है जो मुझे उन्हें बताना चाहिए; शायद मुझे नहीं करना चाहिए।फिर मैं भूल गयी- दो, तीन बार, मैंने उसे जाने दिया। उसके बाद - हे मेरे भगवान - जब मैंने (सुप्रीम मास्टर टेलीविज़न) टीम के सदस्यों में से एक से बात की, तो मैंने कहा, "हे मेरे भगवान। मैं दिन में एक बार खाना खाने वाले हिस्से को काटना चाहती थी लेकिन फिर मैं भूल गयी, और अब बहुत देर हो चुकी है। बहुत देर हो चुकी है।” और कुछ दिनों तक मुझे बहुत बुरा महसूस होता रहा।लेकिन बाद में, स्वर्ग ने मुझे बताया कि इसका खुलासा होना ही चाहिए था। हालाँकि मैं राहत की साँस ले रही थी, फिर भी मुझे उस हिस्से का इस तरह जनता के सामने आना पसंद नहीं आया। लेकिन फिर, मुझे पता है कि ऐसा क्यों होना चाहिए: ताकि इसका एक और कारण हो मैं आपसे कह सकती हूं कि अति न करें, और अपने शरीर का ख्याल रखें, अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें, आदि। क्योंकि ईश्वर वास्तव में नहीं चाहते कि लोग स्वयं को किसी प्रकार के उन्मादी अनुशासन से बहुत अधिक सीमित रखें, जो कि बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है।Photo Caption: ओह, मैं भी आपसे प्यार करती हूँ, पड़ोसी