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युद्ध और शांति के बारे में युद्ध के राजा का रहस्योद्घाटन, 7 का भाग 4

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ओह, मुझे अब और बैंक पसंद नहीं हैं। बैंक मुझे बहुत परेशान करते हैं। कभी-कभी, बहुत अधिक नौकरशाही होती है। […] वे मुझे दूसरों को पैसे देने की अनुमति नहीं देते, चाहे चेक के माध्यम से हो या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी। […] मैं बस कुछ पैसे, मात्र 40,000 (अमेरिकी डॉलर) एक जरूरतमंद पशु-जन आश्रय स्थल को भेजना चाहती थी। उन्होंने मुझे मना किया। उन्होंने कहा कि मुझे इसकी अनुमति नहीं है। और यदि मैं मेरे कुछ शिष्य, जो पहले मेरे पैसे मेरे लिए रखते थे, कि वे उन्हें मेरे बैंक में भेज दें, तो वे (बैंक वाले) मुझे लेने नहीं देते। उदाहरण के लिए, यदि यह सिंगापुर से है, और उन्होंने मुझे बताया कि सिंगापुर एक मुस्लिम देश है! हे मेरे भगवान! वह कैसा अज्ञानी व्यक्ति है? […]

वैसे मैं सुप्रीम मास्टर टेलीविजन की अपनी टीम के सदस्यों से कुछ कहना चाहती हूँ: मैंने गौर किया है कि हर बार जब मैं किसी व्यक्ति या किसी समूह की कुछ अच्छा करने के लिए प्रशंसा करती हूं, फिर, अगले दिन या अगले कुछ दिनों में, वे अराजक स्थिति या बुरी चीजें बना देते हैं-मेरा मतलब यह पहली बार नहीं है, यह सुप्रीम मास्टर टेलीविज़न से पहले भी था। किसी को नुकसान पहुँचाने वाला “बुरा” नहीं, लेकिन अब यह और अच्छी गुणवत्ता नहीं है या वे कुछ अराजक स्थिति बनाकर मेरे लिए परेशानी का कारण बनते हैं। इसलिए, अब से मैं आपकी खुलेआम या, निजी तौर पर प्रशंसा नहीं करूंगी। शायद निजी तौर पर, अगर यह ठीक हो। अन्यथा, अहंकार एक ऐसी चीज है... सबका इतना बड़ा दुश्मन। जब मैं आपकी प्रशंसा करती हूं, तो ऐसा नहीं है कि आपकी आत्मा इसे सुनती है या उसे इसकी आवश्यकता होती है- बल्कि यह अहंकार है, मन। और मन प्रायः अहंकार से बना होता है। वे लोग, जो कुछ भी मैंने कहा है, उसे अपने मन में बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। और फिर वे महत्वपूर्ण मुद्दे या उस महत्वपूर्ण कार्य के प्रति और अधिक लापरवाह हो जाते हैं जिसे उन्हें पूरा करना होता है।

मैं आपको यह भी याद दिलाना चाहती हूं कि हमें लोगों की प्रशंसा करने की जरूरत नहीं है। कोई ज़रुरत नहीं है। हमें यह सब नहीं चाहिए। हम जो भी कुछ अच्छा करते हैं, जो भी हम अपने सौंपे गए कार्य या अपने स्वयं के प्रयास में उत्तमता से पूरा करते हैं, वह एक सामान्य चीज़ है। हमें किसी प्रशंसा, तारीफ की जरूरत नहीं है ऐसा कुछ भी नहीं। मुझे भी इसकी जरूरत नहीं है। और आप देख सकते हैं कि हम जो कुछ भी कर सकते हैं, मैं इन सभी दिखावटी चीजों को कम करने की कोशिश करती हूँ। यहां तक ​​कि मेरा जन्मदिन भी, अब हम और नहीं मनाते। आप चिंग हाई दिवस मनाते हैं, मैं नहीं। लेकिन यह अच्छा है। मैंने आपको कहा था, चिंग हाई दिवस आपका दिन है। आप खुद को यह याद दिला सकते हैं कि बाहर जाकर अन्य लोगों के लिए कुछ अच्छे काम करें। लेकिन गर्व महसूस मत करो, तो फिर यह अच्छा है।

क्योंकि अहंकार हमेशा सारी प्रशंसा, सारा श्रेय छीनने की कोशिश करता है - नहीं! हम सभी को ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए और ईश्वर की स्तुति करनी चाहिए कि हमारे पास यह क्षमता है, हमारे पास यह करने का मौका है; कि परमेश्‍वर हमें अच्छे काम करने की इजाज़त देता है। और हमें इस बात पर प्रसन्न होना चाहिए कि हमारे कार्यों से अन्य लोग प्रसन्न हैं। इतना काफी है। बस दुनिया में कभी-कभी, हम अन्य सभी लोगों को अपना काम जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। तो, हमारे पास कुछ पुरस्कार, प्रशंसा, या धन्यवाद पत्र हैं। लेकिन मैं अभी भी इस बात पर विचार कर रही हूं कि हमें ऐसा करना जारी रखना चाहिए या नहीं। मैं विचार करूंगी। मैं स्वर्ग से पूछूंगी कि हमें ऐसा करना चाहिए या नहीं।

बेशक, दान के कार्य, जब भी आप कर सकें, जैसे भी आप कर सकें, वैसे आप दूसरों की ज़रूरत में मदद कर सकते हैं, जारी रखना चाहिए। आजकल, हमारा विश्व सचमुच बहुत बड़ी उथल-पुथल में है। “भूख के युद्ध” में इतने सारे शरणार्थी हैं, हथियारों के साथ वास्तविक युद्ध की तो बात ही छोड़िए। लेकिन भूख की लड़ाई, प्यास की लड़ाई, सचमुच बहुत से लोगों को मार रही है, बुजुर्गों, बच्चों को, पूरी दुनिया में, हर जगह, यहाँ तक कि कुछ शक्तिशाली देशों में भी, अमीर देशों में भी। मैंने ऐसे लोगों को देखा है जो बेघर हैं, दलित हैं, और मेरा दिल कभी शांति महसूस नहीं कर सकता। मैं जो कर सकती हूं, वह करती हूं, बेशक, आपको बताए बिना। पहले, जब भी मेरे पास नकदी होती थी, मैं उन्हें सड़क पर लोगों को दे देती थी। यह बेहतर होगा यदि मेरे पास कुछ नकदी होती। अब मुझे इसकी आवश्यकता नहीं है क्योंकि मैं एकांतवास में हूं; मैं देने के लिए कहीं नहीं जा सकती।

लेकिन पहले, मैं हमेशा कुछ नकदी अपने साथ रखती थी ताकि सड़क पर चलते लोगों को दे सकूं। या यदि मैं किसी गरीब परिवार को देखती, या मुझे उनके बारे में पता होता, तो मैं उनके घर जाती और उनकी तत्काल आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तथा भविष्य के लिए कुछ दे देता। बेशक, अपने साथ नकदी रखना बहुत सुरक्षित नहीं है, लेकिन मैं हमेशा किसी के साथ जाती हूं और नकदी को अच्छी तरह से छिपा लेती हूं। केवल जब मुझे ज़रूरत है, तभी मैं इसे बाहर निकालती हूं। ऐसा करना बहुत सुरक्षित नहीं होता है। लेकिन मेरे हृदय की वजह से, मुझे अन्य लोगों को ज़रूरत में देखकर परेशानी होती है: तपती डामर सड़क पर झुलसते पैरों के साथ चलते हुए, या फटे-पुराने कपड़े पहने हुए- जो सर्दियों की हवा से ढकने के लिए पर्याप्त नहीं होते। और भी बहुत सी चीज़ें। या फिर भोजन बैंक खाली हो गए हैं, तो मुझे भोजन खरीदकर उन्हें देना पड़ता है। यह सब, ज़ाहिर है, आपको पता नहीं है।

और जब मैं एकांतवास पर होती हूं, तो मुझे दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कहना पड़ता है, और यह काम निश्चित रूप से लेखाकारों के माध्यम से होगा। लेकिन उनमें से सभी की रिपोर्ट आपको नहीं दी जाती। अधिकतर मुझे उनसे यह कहना याद है, “कृपया इसे सार्वजनिक रूप से मत कहिए, बस जाइए और मेरे लिए यह कर दीजिए।” अगर मैं किसी को जानती हूं, तो मैं उन्हें फोन करूंगी और कहूंगी, "जाओ और यह-वह खरीदो, और अपने परिवार या दोस्तों को इसमें शामिल करो।" अपने क्षेत्र में जहां भी संभव हो, वहां जाएं, या जितना दूर जा सकें, वहां जाएं। अगर आपके पास समय है और आपका काम अनुमति देता है इसे फूड बैंक या लोगों को देने के लिए, तो इसे चुपचाप करें।” तो, ऐसा नहीं है कि मैं आपको यह अकेले करने के लिए कहती हूं। मैं भी आपके साथ हूं, आपके साथ काम कर रही हूं। आप जो भी कर रहे हैं जो दूसरों के लिए अच्छा है, अगर मैं कर सकती हूं, तो मैं भी आपके साथ हूं। हम एक टीम हैं। भले ही आपको पता न हो कि मैं कुछ कर रही हूं, फिर भी मैं कर रही हूं। मैं आपकी टीम का सदस्य हूं। इसलिए यदि आप सक्षम हों तो कृपया, दूसरों की मदद करना न भूलें। यदि आपको आवश्यकता न हो तो आप अपना पैसा कहीं भी क्यों जमा करते हैं? उदाहरण के लिए, बैंक में।

ओह, मुझे अब और बैंक पसंद नहीं हैं। बैंक मुझे बहुत परेशान करते हैं। कभी-कभी, बहुत अधिक नौकरशाही होती है। अगर मैं अपना पता बदलूं, या अपना पासपोर्ट बदलूं, तो वे बहुत परेशानी खड़ी कर देंते हैं। वे मुझे दूसरों को पैसे देने की अनुमति नहीं देते, चाहे चेक के माध्यम से हो या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी। उन्होंने सब कुछ बंद कर दिया है। मैं बस कुछ पैसे, मात्र 40,000 (अमेरिकी डॉलर) एक जरूरतमंद पशु-जन आश्रय स्थल को भेजना चाहती थी। उन्होंने मुझे मना किया। उन्होंने कहा कि मुझे इसकी अनुमति नहीं है। और यदि मैं मेरे कुछ शिष्य, जो पहले मेरे पैसे मेरे लिए रखते थे, कि वे उन्हें मेरे बैंक में भेज दें, तो वे (बैंक वाले) मुझे लेने नहीं देते। उदाहरण के लिए, यदि यह सिंगापुर से है, और उन्होंने मुझे बताया कि सिंगापुर एक मुस्लिम देश है! हे मेरे भगवान! वह कैसा अज्ञानी व्यक्ति है? सिंगापुर मुस्लिम देश कैसे हो सकता है? यह अविश्वसनीय है कि बैंक के लोग कितने अज्ञानी हो सकते हैं। मेरा अपना बैंक मैनेजर - मैं बैंक का नाम नहीं बताना चाहती। या मुझे ऐसा करना चाहिए? नहीं। मैं बदला लेना नहीं चाहती।

मैं आपको सिर्फ इतना बता रही हूं कि यह एक सच्ची कहानी है जो मेरे साथ घटी। और उन्होंने बैंक में रखी मेरी सारी धनराशि लगभग जब्त कर ली। इसलिए मैं इसका किसी भी काम में उपयोग नहीं कर सकती। मैंने कहा, “क्या मैं यह पैसा अन्य स्थानों पर भी भेज सकती हूँ, जैसे चर्चों, मंदिरों, भिक्षुओं, विभिन्न धर्मों के पुजारियों को? संभव है या नहीं?” इसके अलावा, “नहीं, नहीं कर सकते!” वे बस इसे अपने पास रखना चाहते हैं, अपने लिए पैसा कमाना चाहते हैं। उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि मेरा पैसा दूसरों की मदद कर सकता है या धार्मिक संस्थाओं की मदद कर सकता है। यह सचमें ऐसा ही है। क्योंकि मुझे हमेशा बैंक में पैसा रखना पसंद नहीं है। मुझे नकदी रखना भी पसंद है। या फिर मैं इसे किसी जरूरतमंद क्षेत्र में भेजना पसंद करूंगी। इसीलिए कभी-कभी मैं नकदी रखना पसंद करती हूं। क्योंकि मैं पुजारियों को भी दान देता हूँ - कैथोलिक, या मुस्लिम, या हिंदू पुजारी या हिंदू भिक्षु, बौद्ध भिक्षु - जो भी मुझे जरूरतमंद या योग्य लगता है। मैं पुजारियों को दान देती हूं क्योंकि मैं जानती हूं कि पुजारी इसे गरीबों को दें देंगे। कैथोलिक पादरी, ईसाई पादरी और बौद्ध भिक्षु, वे भी अनाथालय खोलेंगे या मंदिर में कुत्ते पालेंगे। मैं यह सब जानती हूं। इसलिए मैं यह उन्हें दे देती हूं।

मैं यह भी कहती हूं कि वे अपनी व्यक्तिगत जरूरतें जैसे जूते और सर्दियों के कपड़ों के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। या कभी-कभी मैं इसे खरीदती हूं और उन्हें भेज देती हूं। या मैं उन्हें पैसे भेजती हूं और कहती हूं, “मैंने देखा कि आपके जूते फटे हुए हैं या बहुत घिस गए हैं। कृपया, यह आपके जूतों के लिए है और कुछ अतिरिक्त पैसे सर्दियों के कपड़ों के लिए हैं, क्योंकि यहाँ बहुत ठंड है।” उदाहरण के लिए, कुछ भिक्षु, जैसे थाई भिक्षु, औलासी (वियतनामी) भिक्षु, वे एक ठंडे देश में रहते हैं; या वे कुछ छोटे क्षेत्र में रहते हैं, उनके विश्वासियों के लिए, उनके वफादार के लिए अपना काम करने के लिए एक छोटे से कमरे में, और उनके पास पर्याप्त कपड़े नहीं हैं, या उनके पास पैसे नहीं हैं। इसलिए मैं इसे उनके पास भेजने के लिए खरीदती हूँ, या मैं उनके कुछ अनुयायियों के माध्यम से पैसे भेजती हूँ ताकि वे इसे उनके पास ला सकें। मैं कहती हूँ, “जाओ उनके लिए यह और वह खरीदो, या उनसे पूछो कि उन्हें क्या चाहिए और उनके लिए खरीदो।”

और मैं इसके साथ सिर्फ चेक ही नहीं भेज सकती - मेरी जेब में हर समय चेक नहीं रहते। पैसा (नक़द) बहुत सुविधाजनक है। इसलिए धन को तुच्छ न समझें। पैसा बहुत महत्वपूर्ण है, बहुत अच्छा है। यदि आप इसका उपयोग नहीं करते हैं, और आपके पास बहुत अधिक अधिशेष धन है, तो कृपया इसे अपने बैंक से निकाल लें और उन लोगों को दे दें जिन्हें अत्यंत आवश्यकता है। उन्हें जीवित रहने के लिए कुछ और समय दीजिए ताकि वे संयोगवश ईश्वर को याद करें, ईश्वर से प्रार्थना करें, और उस पुण्य के लिए उनका उत्थान हो तथा उन्हें आशीर्वाद मिले - यदि इस जीवन में नहीं तो अगले जीवनकाल में। क्योंकि उनमें से सभी उनको मुक्त करने के लिए मास्टर को नहीं देख सकते। नहीं, सभी को ऐसा सौभाग्य प्राप्त भी नहीं होता। धनवान बनना तो आसान है; परन्तु मुक्ति दिलाने वाले आत्मज्ञानी मास्टर से मिलना आसान नहीं होता है। मुझे नक़द पैसा पसंद है क्योंकि इसका उपयोग बहुत व्यावहारिक है। कभी-कभी मैं अलग-अलग देशों में रहती हूं; मैं इधर-उधर जाकर देखती हूं कि किस पशु-आश्रय, किस अनाथालय को धन की जरूरत है। मैं तो बस दे देती हूं। क्योंकि मैं उन्हें अपना नाम नहीं बताना चाहती। मैं नहीं चाहती कि वे जानें कि मैं कौन हूं और यह सब। इसलिए, जब मैं एकांतवास में नहीं होती, तो नकदी मेरे लिए बहुत सुविधाजनक होती है।

लेकिन कभी कभी बैंक, ओह… अगर मैं किसी दूसरे देश में भी चली गयी, और बैंक बदलना चाहा तो भी वे मुझे इसकी इजाजत नहीं देते। वे बहुत परेशानी खड़ी करते हैं। एक बार, मैं कनाडा गयी थी। मैं वहां एक घर खरीदना चाहती थी। यह बहुत अच्छा लग रहा था, और मैं कनाडा में ही रहना चाहती थी। लेकिन फिर बैंक ने मुझे रोक दिया - मेरे बैंक ने। उस समय, मैं स्पेन में थी। उन्होंने मुझे रोक दिया। वह एक और बैंक था। बैंकों के साथ मेरे कई बुरे अनुभव रहे हैं: अमेरिका में एक बैंक, स्पेन में एक बैंक, बड़ा बैंक - अंतर्राष्ट्रीय, प्रसिद्ध बैंक, सामान्य नहीं। मैंने सोचा था कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध बैंकों की सेवा अच्छी होगी, जिससे मेरा जीवन आसान हो जाएगा। यह सच नहीं है। और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध बैंक भी, जर्मनी अमेरिका, स्पेन, फ्रांस से - ओह, मैंने सभी प्रकार के बैंकों की कोशिश की। वे मेरे लिए बहुत परेशानियां खड़ी करते हैं, बहुत नौकरशाही है।

Photo Caption: अलग-अलग दिखावट से दोस्ती में कोई अंतर नहीं होता

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